नशीली हो उठे फिर भोर नशीली हो उठे फिर भोर
हम तुम्हारे बिन अधूरे हैं संग तुम्हारे ही पूरे हैं, हम तुम्हारे बिन अधूरे हैं संग तुम्हारे ही पूरे हैं,
अब उन खाली पन्नों में नए-नए रंग भरना है, किया नहीं जो बचपन में वो सब कुछ अब करना है।। अब उन खाली पन्नों में नए-नए रंग भरना है, किया नहीं जो बचपन में वो सब कुछ अब...
कभी रोने पर भी पाबंदियां थी तो कभी मुस्कुराने पर भी थे एतराज़ हमसे कभी फ़िज़ूल में कभी रोने पर भी पाबंदियां थी तो कभी मुस्कुराने पर भी थे एतराज़ हमसे कभी...
पतझड़ का मौसम था, कुछ पेड़ों में पत्ते झडे़ थे, कुछ में नए निकल रहे थे, पर , तुम कह पतझड़ का मौसम था, कुछ पेड़ों में पत्ते झडे़ थे, कुछ में नए निकल रहे थे, ...